एक मजेदार बात यह हैं कि किसी भी पार्टी के अपने कोई सिद्धांत या दृष्टिकोण(vision) नहीं हैं। हर पार्टी सिर्फ इस आधार पर वोट मांग रही हैं की सामने वाली पार्टी निष्कृष्ट हैं या दागदार हैं। आप किसी भी पार्टी के पेज पर चले जाइये आपको दूसरी पार्टियों पर आरोप करते ही मिलेंगे। उसने इतने दंगे कराये, उसने इतना भ्रष्टाचार किया, उसे सरकार चलानी नहीं आती, वो फला आदमी या देश का एजेंट हैं बस। कोई भी भाषण सुन लीजिये ऐसा लगेगा की विपक्ष पार्टी अक्षमताओ या विफलताओ पर लेख लिख रखा हैं। दुसरे के घरो की रंगाई पुताई की खोट निकालने वालो को चुन चुन कर अपनी पार्टियों में बिठा रखा हैं पर जो आपके घर शीशे के बने हैं उनका क्या?
प्रश्न यह हैं की चुनाव जितने के बाद आप क्या करेंगे? तब भी आप विपक्षी पार्टियों पर लांछन ही लगाते रहेंगे, उन पार्टियों के घोटालो की जांच करेंगे सीबीआई बिठाएँगे या कुछ काम भी करेंगे? अगर हाँ तो देश को वो बताइए..... कैसे करेंगे वो बताइये....
बेहतर हैं कि देश की जनता भावुक हैं उन्हें आपकी कर्मण्यता से ज्यादा दूसरो की बुराई पसंद हैं। वो तर्क नहीं मांगती, वो सवाल नहीं पूछती, वो भावनाओ में डूबती हैं लहरों में बहती हैं।
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