Sunday, April 13, 2014

Why Kejriwal Is Not Reliable?

By Sri Amit Kumar Agrawal
अरविंद केजरीवाल भारतीयों को इतना मूर्ख समझते है ये तो किसी भी भारतीय ने नही सोचा होगा | वो हर भारतीय की भावनाओं से खेल रहे हैं और कुछ नही!!!!!!!!!!
केजरीवाल ने अपनी बेशभूषा,पहनावा,मीडिया में चर्चा में बने रहना चाहे वो झूठे ही तथ्य क्यों ना हों सब कुछ बेहतरीन तरीके से प्लान कर रखा है | जो लोग यह सोचते है कि उन्होने आइ. आर. एस. की नौकरी को देश सेवा के लिए छोड़ा तो वो ग़लतफहमी में हैं,नौकरी छोड़ना तो उनकी दूरगामी राजनीतिक रणनीति का ही एक हिस्सा है ,क्योंकि नौकरी से इस्तीफ़ा तो इस से पहले कई आइ. ए. एस. अधिकारियों ने भी दिया है बस फ़र्क इतना है की केजरीवाल की तरह से वो अधिकारी इतना नीचे नही गिरे जितने की केजरीवाल गिर गये हैं | केजरीवाल हम भारतीयों की मानसिकता को जानते है जो " कौऊ नृिप हमहि का हानि" पर आधारित है मतलब कोई भी राजा हो हमें क्या दिक्कत है | और इसी मानसिकता को आधार बनाकर वो भारतीय जनता को लगातार अपने ज़ूठे तथ्यों से बहका रहे है | कभी गाँधी को ले आते है कभी भागर्सिंह को तो कभी राम को | वो एक तरह से इन सभी को मिलकर एक बाबर्चि की तरह राजनीतिक मिक्स-वेज बना रहे हैं |
जो लोग यह समझ रहे हैं की अरविंद केजरीवाल लोकपाल के लिए या भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई लड़ रहे हैं तो वो सत्य से अनजान ही हैं क्योंकि भ्रष्टाचार से लड़ाई को लेकर उन्हें कोई लेना देना नही है | वो सिर्फ़ प्रधानमंत्री की कुर्सी पर निगाहें लगाए हुए हैं क्योंकि उन्हे लग रहा है की जैसे दिल्ली में उन्‍होनें 28 सीट्स जीत ली वैसे ही पूरे भारत में उनकी लहर है लेकिन वो यह नही जानते की दिल्ली में स्थिति अलग है | एक तो दिल्ली का छेत्रफल कम हैं जिस से उन्हें प्रचार करने में आसानी हुई,दूसरे दिल्ली में संचार और यातायात व्यवस्था बेहतर है जिस से वो लोगों तक अपनी बात पहुचा पाए और तीसरे केंद्र सरकार के जो घोटाले सामने आए + सर्वोच्च न्यायालय के द्वारा जो सरकार की किरकिरी की गयी उस से दिल्ली के लोग ज़्यादा जागरूक और परिचित थे जिस से उन्होने आम आदमी पार्टी को उन्होनें वोट दिया पर अब दिल्ली के लोग भी केजरीवाल के कारनामो से परिचित हो चुके है और अन्य राज्यों में अब भी अधिकतर जातिगत और धार्मिक समीकरण चलते हैं जिस से उनकी पार्टी को ज़्यादा सीट मिलना मुश्किल ही है|
जहाँ तक केजरीवाल के बारे में यह कहा जा रहा है की वो भ्रष्टाचार के खिलाफ लोकपाल लाने के लिए लड़ाई लड़ रहे है तो इसमें रत्ती भर भी सच्चाई नही है | जब आप उनसे प्रश्न करोगे कि लोकपाल भ्रष्टाचार को कैसे समाप्त करेगा तो उनका जबाब होगा की लोकपाल भ्रष्टाचारियों पर कार्यवाही करेगा और उन्हे सज़ा देगा | जब आप कहोगे की भ्रष्टाचार से निबटने के लिए अन्य संस्थायें भारत में मौजूद है वो भ्रष्टाचार को समाप्त नही कर पा रही है तो लोकपाल कैसे ख़त्म कर पाएगा तो इस पर उनका यही जबाब होगा की वो सारी संस्थायें भी भ्रष्ट है | अब उनसे आप कहोगे की भ्रष्टाचार ख़त्म कैसे हो सकता है क्योंकि भ्रष्टाचारी तो हम सभी हैं और भ्रष्टाचार की जाँच करने वाला आता तो उसी समाज से है जिस समाज में भ्रष्टाचार होता है | अब अगर लोकपाल में बैठा हुआ व्यक्ति भी आएगा तो उसी समाज से या उसे आप किसी और ग्रह से लेकर आएँगे | और लोकपाल में बैठा हुआ व्यक्ति भ्रष्ट नही होगा इस बात की क्या गारंटी है तब क्या आप उसके उपर फिर कोई लोकपाल बिठाएगें और इस तरह से एक के उपर एक लोकपाल बिठाते जायेंगे हम ? |
भ्रष्टाचार तो चीन में भी होता है जहा भ्रष्टाचार करने वाले के पैसे से ही गोली ख़रीदकर उड़ा दिया जाता है | मौत की सज़ा होने पर भी चीन में भ्रष्टाचार बना हुआ है क्योंकि भ्रष्टाचार को ख़त्म किया ही नही जा सकता इसे कम किया जा सकता है |और रही बात पूजिपतियों की राजनीति में हस्तक्षेप की तो वो हस्तक्षेप तो राजनीति में हमेशा रहेगा | अगर किसी को विश्वास ना हो तो देखिए अमेरिका की तरफ जहाँ अधिकतर नीतियों का निर्धारण पूंजीपति ही करते हैं | केजरीवाल को अंबानी से इसलिए समस्या है क्योंकि उन्होने उनकी पार्टी को चंदा नही दिया | अंबानी किस-किस को चंदा दे | वो अपना बिजिनेस करे ये सभी को चंदा देता फिरे | चंदा भी दे,30 से 40 प्रतिशत कॉर्पोरेट टेक्स(कर) भी दे | आख़िर क्यों दे हर किसी को चंदा आप करते रहिए विरोध उसका वो तो भारत छोड़कर किसी और देश में सेट्ल हो जाएँगें | उनके पास तो पूंजी है चाहे जो देश उन्हें अपने यहाँ नागरिकता दे देगा | फिर आप क्या करोगे जब बेरोज़गारी और आर्थिक चुनौतियाँ सामने आएगी,धरना देकर इन समस्याओं को हाल करेंगें |
केजरीवाल लोगों की भावनाओं से ही खेल रहे हैं | कैसे???????????????
अब केजरीवाल के आम आदमी वाली बात पर आता हूँ | आम आदमी वाली उनकी बहुत सोची समझी और वैज्ञानिक रणनीति है | वो हमेशा आपको ऐसे कपड़ों में दिखेंगें जिसमें आम आदमी नज़र आयें जैसे की दिल्ली के मुख्यमंत्री बनने के बाद ऑटो वालों से मिलने के लिए स्वीटर के रूप में उन्होने वही पहना जो आजकल स्कूल के बच्चों की ड्रेस है और ऊपर से मफ्लर भी लपेट लिया ताकि आम आदमी दिखें | केजरीवाल से जब आप कहोगे की आम आदमी तो रेल में धक्के खाते हुए जनरल डिब्बे में सफ़र करता है जबकि आप तो रेल के एसी डिब्बे में और प्लेन में सफ़र करते हो फिर आप कैसे आम आदमी हुए? | आपने इस सफ़र में लोगों के चंदे की राशि खर्च की इस यात्रा में क्या वो भ्रष्टाचार नही है क्योंकि इस राशि को आप जनरल में सफ़र करके भी तो बचा सकते थे तब इनके पास कोई जबाब नही होगा सिवाय इसके कि आप भ्रष्टाचारी हो |
अब में केजरीवाल के धार्मिक समीकरण पर आता हूँ | उन्होनें मुस्लिम समुदाय के वोटों को एकत्रित करने के लिए कहा कि" मेरा राम किसी की मस्जिद तोड़कर नही रह सकता" | यहा उन्होने मेरा राम और तेरा राम में भी अंतर कर दिया? | ना तो राम ने कहा था की मेरे लिए मंदिर बनाओ ना ही किसी अल्लाह ने कहा था की मेरे लिए मस्जिद बनाओ और तोड़कर बनाने का तो सवाल ही पैदा नही होता | राम और अल्लाह तो कभी भी बुरे नही होते | बुरे होते हैं हम लोग जो मंदिर-मस्जिद बनाने के लिए लड़ते हैं क्योकि धर्म कभी भी यह नही सिखाता की मेरे लिया जान दो या जान लो | राम ने तो खुद रामचरितमानस में कहा है कि "में तुमें ना दे सकूँ ऐसा मेरे पास कुछ भी नही है" | इसका सीधा सा मतलब है कि मैं लोगों के लिए सभी कुछ त्याग सकता हूँ मंदिर-मस्जिद की तो बात ही क्या है और इसका उन्होने परिचय भी दिया जब एक धोबी के कहने मात्र से अपनी पत्नी सीता को भी त्याग दिया था जबकि वो जानते थे की सीताजी पूरी तरह पवित्र और निर्दोष हैं | यही रामचरितमानस एक बार और कहती है कि "दूसरों को सुख देने वाले को क्या कभी कोई दुख हो सकता है?" जिसका सीधा सा अर्थ है की दूसरों को दुख दोगे तो दुख पाओगे और दूसरो को सुख दोगे या दूसरों के काम आओगे तो तुमें भी सुख मिलेगा | लेकिन अफ़सोस तो तब होता है जब केजरीवाल ने यह कहकर की "मेरा राम किसी की मस्जिद तोड़कर नही रह सकता" मुस्लिम समुदाय को बहकाने का प्रयास किया ताकि वो उसके बहकावे में आकर उसे वोट दें | अब ये तो हम हिंदू और मुस्लिम समुदाय को सोचना चाहिए कि हम कब तक धर्म की राजनीति में फसते रहेंगें | जब केजरीवाल भी धर्म की राजनीति पर उतर आए तो अन्य पार्टीयों से उनकी पार्टी का अंतर ही क्या रह गया |
अब में आता हूँ इस बात पर कि केजरीवाल भ्रष्टाचार-भ्रष्टाचार और लोकपाल-लोकपाल ही क्यो पूरे भारत में चिल्ला रहे हैं? | केजरीवाल जानते है कि यही एक़ मुद्दा है जिस पर भारतीयों को पागल बनाया जा सकता है और उन सभी को एकत्रित किया जा सकता है | इस से पहले उहोने दिल्ली के विधानसभा चुनाव के समय दिल्ली की जनता से बिजली-पानी से लेकर कई मुद्दों पर पूरे ना किए जाने वाले वादे कर दिए थे जबकि वो जानते थे की उन वादों को पूरा नही किया जा सकता | इसीलिए उन्होने लोकपाल के बिल को पास करवाने की जल्दबाज़ी दिखलाई(जबकि इस समय 4-5 और भी महत्वपूर्ण बिल उनके सामने पड़े हुए थे जो लोकपाल से भी ज़्यादा ज़रूरी थे उन्हे पास करवाने में उन्होने कोई रूचि नही दिखायी) ताकि मौका देखकर भाग सके और जनता की नज़रों में हीरो बन सके जबकि वास्तविकता यह थी कि उन्हें लोकसभा चुनाव दिख रहे थे |और रही बात महिलाओं की सुरक्षा की तो वो खुद कितने बलात्कार रोक पाए और कितनी सुरक्षा महिलाओं को दे पाए |ये वही केजरीवाल हैं जिन्होने दिल्ली विधानसभा चुनावों में लगभग हर ऑटो पर ये ये दुष्प्रचार करवाना शुरू कर दिया था की "अगर महिलाओं को सुरक्षित रहना है और बलात्कार का शिकार नही होना है तो शीला दीक्षित को हराए" क्या दिल्ली की मुख्यमंत्री किसी का बलात्कार करने जाती थी?|
केजरीवाल बात करते हैं लोकतंत्र की लेकिन खुद अपनी पार्टी में लोकतंत्र नही रखते | वो खुद तो मीडिया में बने रहते है लेकिन अपने सदस्यों को मीडिया में नही आने देते क्योंकि वो जानते हैं कि कहीं वो सदस्य भी लोकप्रिय होकर पार्टी में उन्हे टक्कर ना देने लगे जबकि लोकतंत्र का मतलब होता है हर व्यक्ति को समान महत्व देना और अपने विचार रखने का अवसर देना | इस तरह से तो यही मालूम होता है की वो पार्टी में तानाशाह की भूमिका निभाते हैं और किसी से कोई सलाह-मशविरा नहीं करते | क्या अपनी पार्टी में वो ही एक ईमानदार प्रत्याशी हैं प्रधानमंत्री के पद के लिए?
आप अगर केजरीवाल जी से या उनके समर्थकों या उनकी पार्टी के कार्यकर्ताओं से प्रश्न करोगे कि भारत के विकास के लिए आपके पास कोई योजना या कार्यक्रम है क्या तो वो उल्टा आपसे ही तोते की तरह रटा हुआ सवाल पूछेंगे कि क्या आप नही चाहते की भ्रष्टाचार ख़त्म हो | और जब आप कहोगे की हाँ हम चाहते है कि भ्रष्टाचार ख़त्म हो तब वो कहेंगें की फिर आप कोई सवाल मत पूछिए क्योंकि क्या यह काफ़ी नही है कि हमने भ्रष्टाचार के मुद्दे को केंद्र में ला दिया और इस प्रकार वो आपकी बोलती बंद कर देंगें |
अगर आप केजरीवाल से कुछ निम्न सवाल करोगे तो आपको कोई जबाब नही मिलेगा सिवाय इसके के आप भ्रष्टाचार के समर्थक हो.......
(1) भारत की गिरती हुई आर्थिक व्रद्दि दर और विकास दर को कैसे बढ़ाएँगें?
(2)रोज़गार किस प्रकार देंगें ?
(3)विज्ञान,रक्षा,शिक्षा आदि के छेत्रों में भारत की सोचनीय स्थिति को आप कैसे सुधारेंगें?
(4)भारत को पड़ोसी देशो जैसे चीन,पाकिस्तान,बांग्लादेश आदि के द्वारा जो सामरिक चुनौती दी जा रही है उसके बारे में आपकी क्या योजना है?
(5)पाकिस्तान के द्वारा जो आतंकवाद को बढ़ाबा दिया जा रहा है उसको कैसे समाप्त करेंगें?
(6)बांग्लादेश के जो अवैध 3 करोड़ लोग (यू.एन. के मुतविक 3 करोड़ वास्तविक संख्या इस से ज़्यादा ही हो सकती है कम नही ) भारत में रह रहे हैं उन्हे बापिस कैसे भेजोगे?
(7)अमेरिका के द्वारा हमेशा भारत के साथ यथार्थवादी नीति का पालन किया जाता है उस पर आपकी क्या राय है?
(8)भारत को विश्व शक्ति कैसे बनाएँगें और इसकी क्या योजना है?
इन सवालों का वो कोई जबाब आपको नही देंगें बस उल्टे आप पर दोस लगाने लगेंगें की आप नही चाहते की भ्रष्टाचार ख़त्म हो |
अगर फ़ेसबुक पर ही देखा जाए तो उनके पेज को लाखों लोगों ने लाइक कर रखा है | इनमें से अधिकांश लोग वो है जो आम आदमी पार्टी के बनते समय उनसे जुड़े थे | वो इस आशा से जुड़े थे की भाजपा और कॉंग्रेस से उनका मोहभंग हो गया था और उन्हे आशा थी कि केजरीवाल की पार्टी कुछ काम करके दिखाएगी | लेकिन जब उन्होने देखा की ये कहते है करते नही और फिर दिल्ली में जो किया उस पर भी निगाह डालते है तब उन्हे केजरीवाल की हक़ीकत मालूम पड़ती है | अब वही लोग फ़ेसबुक पर केजरीवाल के पोस्टों पर उनकी पोल अपने कॉमेंट के मध्यम से खोलते है और तब आम आदमी पार्टी वालों को ये पोस्ट डिलीट करके अपनी पोस्ट को एडिट करके फिर से डाला जाता है ताकि जो बचे खुचे समर्थक है कही वो ना उनसे अलग हो जाए सच्चाई को देखकर |
अब कुछ लोग कहेंगें की केजरीवाल में बुराइयाँ ही बुराइयाँ है या कुछ अच्छाइयाँ भी है | तो मेरा जबाब है कि नही उनका योगदान भी है | एक तो उन्होने सोते हुए भारतीयों को जगा दिया और राजनेताओं को काम करने के लिए प्रेरित किया,दूसरे उन्होने हर पार्टी को अपनी रणनीति पर विचार करने के लिए प्रेरित किया और सबसे बढ़कर लोगों की जो दिलचस्पी राजनीति में से ख़त्म हो गयी थी उसको जगाया लेकिन इसका यह मतलब नही है कि केजरीवाल को प्रधानमंत्री बना दिया जाए | यह तो वही बात हुई की एक खजाने के चौकीदार ने खजाने के चोर को पकड़ लिया तब उस चौकीदार ने कहा की मुझे ही खजाने का मलिक बना दो तो में एक भी चोरी नही होने दूँगा | ऐसी ही बात केजरीवाल कह रहे हैं | उनका कहना है कि मुझे प्रधानमंत्री बना दिया जाए तो एक भी भ्रष्टाचार नही होने दूँगा | एक चौकीदार को प्रधानमंत्री तो नही बनाया जा सकता | केजरीवाल को भारत की समस्याओं की कोई जानकारी नही है और न ही कोई राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर राजनीति का कोई अनुभव | क्या ऐसे व्यक्ति को प्रधानमंत्री बनाया जा सकता है जो केवल धरना,प्रदर्शन और हर समय झूठ बोलने में ही यकीन रखता हो?
मुझे तो उन लोगों पर तरस आता है जो अपना काम-धंधा छोड़कर केजरीवाल के लिए इस आशा से काम कर रहे हैं कि ये भारत के विकास के लिए कोई काम करेगा | लेकिन जब उन लोगों को केजरीवाल की इस हक़ीकत के बारे में पता चलेगा कि वो स्वार्थवश उनका उपयोग कर रहा है और भ्रष्टाचार से उसका दूर दूर तक कोई लेना देना नही है तब उनके दिल को कितनी ठेस पहुचेगी ये केजरीवाल ने सोचा भी नही होगा | केजरीवाल शायद यह भूल गये है की हम भारतीय सब कुछ सह सकते है पर भावनाओं के साथ खिलबाड़ मंजूर नही कर सकते और तब जो भगतसिंघ पैदा होगा वो ज़रूरी नही हिंदू ,सिक्ख हो,मुस्लिम धर्म में भी भगतसिंघ जन्म ले सकता है और फिर जो हाल वो केजरीवाल का करेगा उस से केजरीवाल परिचित नही हैं |
(जिस भी व्यक्ति को यह लगता है की मैने कुछ ग़लत लिखा है तो वो कमेंट के माध्यम से अपने विचार और प्रश्न रख सकता है | में उसके प्रश्नों का उत्तर देने का प्रयास अवश्य करूँगा )
धन्यबाद
अमित कुमार अग्रवाल

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